भरमौर चंबा 12 जुलाई मुकेश कुमार ( गोल्डी)
जनजातीय क्षेत्र भरमौर उपमंडल में श्रद्धालुओं का मणिमहेश की ओर रुख लगातार जारी है । भारी बारिश वह मानसून के चलते भी अधिकारिक घोषणा से पूर्व ही श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा के लिए निकल रहे है। श्रद्धालुओं ने यहां पर अप्रैल महीने से आवाजाही शुरू कर दी है जोकि श्रद्धालुओं की जान को आफत में डाल सकता है। कुछ साल पहले भी यहां पर फरवरी महीने में शिवरात्रि के दौरान कुछ श्रद्धालु मणीमहेश की ओर रवाना हो गए थे जिनकी आधे रास्ते में मौत हो गई थी। जिसके बाद प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू कर शवों को उनके घर पहुंचाया था।जानकारी के अनुसार रविवार को भी 45 श्रद्धालुओं का एक ग्रुप रास्ता व पूरी बह जाने के कारण गौरीकुंड व मणीमहेश में फंस गया है। जिसकी सूचना मिलने पर भरमौर प्रशासन ने मंगलवार को रेस्क्यू टीम रेस्क्यू कर लिया है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि बिना प्रशासन व स्थानीय मणिमहेश ट्रस्ट की इजाजत के बिना श्रद्धालुओं की इतनी संख्या में वहां पर पहुंचने पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। हालांकि हर वर्ष जून व जुलाई महीने में स्थानीय लोगों द्वारा वहां पर अस्थाई दुकानें लगा दी जाती है बावजूद इसके कुदरत के कहर में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कुछ हो जाए तो आखिरकार जिम्मेदारी किसकी। रविवार को जैसे ही मणिमहेश में बाहरी राज्यों से 45 लोगों का दल फंसने की सूचना जैसे ही मिली तो इस प्रकार की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि अधिकारिक रूप से बड़े लिए यात्रा का आगाज जन्माष्टमी से राधाष्टमी तक हर बार किया जाता है। इस दौरान प्रशासन की ओर से यहां पर सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाती है ताकि श्रद्धालुओं को मेडिकल स्वास्थ्य रहने खाने पर कोई भी समस्या ना आए। बाबुल इसके हर वर्ष राधा अष्टमी से पहले हजारों श्रद्धालुओं व पर्यटकों का यहां आना जाना आम बात हो गई हैवहीं भरमौर प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी मूखदर्शक बन बैठा है। गौर हो कि गत दिनों से हो रही बारिश के कारण चंबा से भरमौर तक मार्ग की दयनीय स्थिति के चलते तथा जगह-जगह पर हो रहे हो भूस्खलन हो रहा है। जबकि हड़सर से डल झील तक भारी बारिश के कारण 13 किलोमीटर का पैदल मार्ग कई स्थलों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके रिपेयर का कार्य आरंभ करने के निर्देश जारी कर दिए है। ताकि श्रद्धालुओं को जन्माष्टमी पर्व से आरंभ होने वाली यात्रा के दौरान किसी प्रकार के जानी या माली नुकसान से न गुजरना पड़े। लेकिन हिमाचल सहित अन्य राज्यों के कई श्रद्धालुओं द्वारा हड़सर बाया धन्छो व हड़सर बाया कुगति से मणिमहेश यात्रा के लिए जोखिम भरा सफर करना आरंभ कर दिया है। जिस पर यदि वक्त रहते अंकुश नहीं लगा तो श्रद्धालुओं को इसकी भारी कीमत चुकाने सहित मणिमहेश यात्रा ट्रस्ट भी प्रबंधन को लेकर सवालियां निशानों की गाज से गुजरना पड़ सकता है। —————————————————