डलहौजी के कथलग में मादा भालू एवं उसके बच्चे की हाई वोल्टेज करंट लगने से मौके पर ही मौत, जिम्मेदार कौन?

डलहौजी के कथलग में मादा भालू एवं उसके बच्चे की हाई वोल्टेज करंट लगने से मौके पर ही मौत, जिम्मेदार कौन?

डलहौजी/चम्बा 16 अगस्त मुकेश कुमार ( गोल्डी)

प्रसिद्ध पर्यटन नगरी डलहौजी के कथलग गार्बेज डंपिंग साइट में एक मादा भालू एवं उसके बच्चे के हाई वोल्टेज करंट लगने से मौके पर ही मौत का मामला प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला बीती रात का है जब मादा भालू अपने बच्चों सहित गार्बेज डंपिंग साइट में खाने की तलाश में थी कि अचानक किसी खतरे को भांपते हुए वे मुख्य मार्ग के किनारे ट्रांसफार्मर पर जा चडी, तो वहीं दूसरी तरफ से उसका बच्चा भी ऊपर जा चढ़ा, मादा भालू एवं बच्चा हाई वोल्टेज करंट की चपेट में आने से मौके पर ही मौत का शिकार हो गए। और अन्य ट्रांसफार्मर में हुए धमाके की आवाज से जंगल में भाग गए।

दोनों जंगली जानवरों की मौत से अब सवाल यह उठता है कि ट्रांसफार्मर के चारों तरफ फेंसिंग और कांटेदार तार क्यों नहीं लगाई गई थी जबकि इस एरिया में भालू एवं अन्य गई जंगली जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है आखिर इन दोनों जंगली जानवरों की मौत का जिम्मेदार कौन है? वन विभाग ,विद्युत विभाग या नगर परिषद, यह डलहौजी का हर आम आदमी जानना चाहता है। बता दें कि नगर परिषद डलहौजी तमाम डलहौजी का कूड़ा करकट इकट्ठा कर कर इसी डंपिंग साइड में बीते काफी समय से फेंकता आ रहा है इसी कूड़ा करकट में यहां के स्थानीय होटल रेस्टोरेंटों एवं छोटे-बड़े ढाबों से खराब बची शेष खाद्य सामग्री एवं सब्जी की दुकानों से बची कुची खराब सब्जियां भी इसी डंपिंग साइट में फेंकी जाती है। और इन्हीं खाद्य सामग्रियों की ओर आकर्षित होकर जानवर यहां जमा होकर इस कूड़ा करकट में खाने की चीजे को ढूंढ कर अपना पेट भरते हैं लेकिन यह कितना उचित है यह हर बुद्धिजीवी जानता है।

क्योंकि इससे एक तो इन्हीं जंगली जानवरों को खतरनाक बीमारियां लगने का भी डर है तो वही इंसानों के डर के मारे जैसे आज का हादसा पेश आया है वैसे ही भविष्य में भी ऐसा हादसा पेश आ सकता है इस हादसे से स्थानीय प्रशासन वन विभाग नगर परिषद डलहौजी एवं विद्युत विभाग को जरूर सबक लेना चाहिए।इस बारे में स्थानीय लोगों ने कई बार जंगली जानवरों को लेकर वन विभाग एवं स्थानीय प्रशासन को भी लिखित एवं मौखिक रूप से आगाह किया गया था।

लेकिन इस पर स्थानीय प्रशासन या संबंधित विभाग द्वारा कोई उचित कार्रवाई अमल में लाई गई होती तो शायद यह हादसा हो ही नहीं पाता। जंगली जानवरों का ऐसी मौत का शिकार होना अपने आप में ही कई सवालिया निशान उठना है।तो वही वन विभाग अपनी सारी औपचारिकताएं पूरी करते हुए दोनों मृत भालूओं के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवा कर दोनों शवों का विधिवत अंतिम संस्कार कर दिया गया ।

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