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स्कूलों के विलय से पहले इन सवालों के जवाब दे प्रदेश की सुक्खू सरकार :- मनीष सरीन प्रदेश प्रवक्ता आम आदमी पार्टी
डलहौजी/चंबा 14 दिसंबर मुकेशकुमार (गोल्डी)
मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश सरकार वित्तीय संकट से झूझ रही है। जो जग जाहिर है। इस स्थिति में सरकार ने कम विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूलों को दूसरे स्कूलों के साथ विलय करने का निर्णय लिया है। इस स्थिति पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवकता मनीष सरीन ने प्रदेश की सुख्खू सरकार से इस सम्बन्ध में कुछ सवाल किए हैं।
*मनीष सरीन ने पूछा है*
-क्या सरकार ने कम छात्र संख्या का क्या मापदंड रखा है?
-छात्रों की कम संख्या का कारण क्षेत्र में कम बच्चे हैं या बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना है?
– मर्जर के बाद बंद हुए स्कूलों के भवनों का रख रखाव किसका होगा और उनका क्या कोई दूसरा इस्तेमाल किया जाएगा?
-बच्चों को अगर विलय के बाद ज्यादा दूरी तय करने पड़ती है तो उसके लिए यातायात की व्यवस्था कैसे की जाएगी?
मनीष सरीन ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा एक छात्र कि जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा होती है, यह एक छात्र कि नींव होती है। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। सरकार को हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि वो स्कूलों का विलय नहीं करना चाहिए ताकि छात्रों और अभिभावकों को कोई समस्या न हो। एक आम आदमी अपना पेट काटकर पाई पाई जमा करता है ताकि वह अपने बच्चों को उचित शिक्षा मुहैया करा सके अगर उसके बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ होगा तो यह उचित ना होगा है।
सरीन ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी अपनी शिक्षा नीतिओं के लिए जानी जाती है, मुफ्त और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा हमरी पार्टी की प्रथमिकता रही है। अगर हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के साथ कोई समझौता किया जायेगा तो आम आदमी पार्टी इसका विरोध बड़े पैमाने पर करेगी।