चंबा 23 जुलाई मुकेश कुमार (गोल्डी)
अंतर्राष्टÑीय मिंजर मेले की पहली सांस्कृतिक संध्या का आगाज लोकगायन से किया गया। जिसमें मुसाधा गायन की प्रस्तुति रोशन व कंचन द्वारा दी गई। जबकि मिंजर का अधार कुंजड़ी-मल्हार गायन अजीत भट्ट एंड पार्टी ने दी। जिसे सुनने के लिए कई बुजुर्ग व मध्यवर्ग आयु के लोगों ने पहली सांस्कृतिक संध्या में विशेष रूप से कुंजडी मल्हार लोकगीत को सुनने के लिए श्रोता सांस्कृतिक पंडाल में भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाई। गौर हो कि बिना कुंजडी मल्हार लोकगीत के मिंजर मेला एकदम अधूरा है। जिसका उदाहरण मिंजर मेला प्रारंभ से लेकर समापन तक एक ही लोकगीत गाया जा रहा है। जिसका मेले में अन्य लोकगीतों के मुकाबले में महत्व कई गुणा अधिक है। चंबा की समृद्ध संस्कृति में ऋतु विशेष संबधित गीतों की परंपरा विद्यमान है। चंबा में हर ऋतु, पर्व, त्यौहार व मेलो के लिए संगीत का इतिहास सर्वविदित है। चंबा के पारंपरिक गायन में कुंजडी मल्हार अपना एक विशेष ध्यान रखता है। कुंजडी मल्हार गायन मिंजर मेला आगमन पर प्रतीत है।
श्रावण माह में फसलों के पकने पर मिंजर मेला लोगों के उत्साह को जागृत करता है। कुंजडी मल्हार गीत से ही मिंजर मेले का शुभारंभ होता है। उड़ा मेरियों कुंजड़ीयों जैसे शुद्ध रागों पर आधारित मल्हारों की स्वर लहरीयाँ चंबा के मेले वातावरण को संगीतमय बना देती है।इस पूर्व कई स्थानीय कलाकारों ने गीत-संगीत व नृत्य से दर्शकों का मनोरंजन किया। जिसमें युवा विकास मंडल छड़ियारा नृत्य, विशाल आहूजा ने गीत, सुरभि कला मंच ने नृत्य, विकास शील युवक मंडल कीड़ी नृत्य, नाग युवक मंडल ने नृत्य सरस्वती लोक कला संगम ने लोक नृत्य, आशीष ने बांसुरी व सुरेंद्र कपूर ने गीत गाने सहित अन्य कई कलाकारों ने अंतर्राष्टÑीय मिंजर मेला कला मंच पर अपनी आवाज व नृत्य के जादू बिखेरे।