पिछले तीन महीनों से डिपुओं की मांग पर भी नहीं हो रही सप्लाई; कहीं दालों की किल्लत, कहीं तेल- आटा-चावल-चीनी नहीं

पिछले तीन महीनों डिपुओं की मांग पर भी नहीं हो रही सप्लाई; कहीं दालों की किल्लत, कहीं तेल- आटा-चावल-चीनी नहीं

शिमला 5 दिसंबर चांपा न्यूज़ एक्सप्रेस (ब्यूरो)

प्रदेश में पिछले तीन माह से डिपुओं पर राशन की सप्लाई मांग के अनुसार न आने से डिपो धारक व उपभोक्ता दोनों ही अच्छे -खासे परेशान हैं। प्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेशाध्यक्ष अशोक कवि ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन माह से कई जिलों में आटा, चावल व दालों के अधिकांश डिपुओं में न आने से उपभोक्ताओं व डिपो धारकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई जगह तो हालत ऐसी भी है कि जहां डिपुओं में एनएफएसए का आटा-चावल भी निगम के गोदामों से डिपो धारकों को उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।

अशोक कवि ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश डिपुओं पर दिवाली के अतिरिक्त कोटे सहित दिसंबर और जनवरी माह का कोटा भी नहीं पहुंचा है। प्रदेश के जिन डिपो धारकों को तीन माह का कोटा नहीं मिला, उन्हें जनवरी माह में निगम द्वारा तीन माह का कोटा तो उपलब्ध करवाया जा रहा है, लेकिन मशीन में मात्र दो माह का ही बिल कट रहा है।विभाग ने मशीनों में दिसंबर माह के कोटे का विकल्प अभी तक नहीं डाला है। प्रदेश के अधिकांश डिपुओं पर निगम के गोदामों से माह के अंतिम सप्ताह में सप्लाई भेजी जाती है और हर माह अंतिम सप्ताह में डिपुओं पर लगाई गई मशीनों का सर्वर डाउन होने की वजह से डिपो धारक अपने सभी उपभोक्ताओं को राशन वितरित करने में असफल रहते हैं।

अशोक कवि ने कहा कि सरकार ने जब से ठेकेदारों के माध्यम से डिपुओं पर राशन उपलब्ध करवाने की प्रथा शुरू की है, तब से ठेकेदार डिपुओं पर राशन समय पर नहीं पहुंचा रहे हैं। हालांकि इनके किराए में पहले से कई गुना वृद्धि की गई है। अशोक कवि ने कहा कि जब डिपुओं पर उपभोक्ताओं को पूरा राशन नहीं मिलता है, तो उपभोक्ता डिपो धारकों को शक की नजर से देखते हैं।

दस तारीख से पहले उपलब्ध करवाएं राशनप्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेशाध्यक्ष अशोक कवि ने सरकार व विभाग से ठेकेदारी प्रथा बंद करके पुरानी प्रथा शुरू करने, पिछले माह का राशन न मिलने की स्थिति में मशीनों में बैकलॉग का विकल्प डालने और डिपुओं पर हर माह 10 तारीख से पहले राशन उपलब्ध करवाने की मांग की है, अन्यथा डिपो धारक संघर्ष करने पर मजबूर होंगे

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