जिसकी भक्ति जिसकी पूजा उसका ज्ञान जरूरी है ,कहे हरदेव पहले ईश्वर की पहचान जरुरी है :- सुरेंद्र शर्मा
डलहौजी./ चंबा 20 अक्टूबर मुकेश कुमार (गोल्डी)
रविवार को स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसमेंसुरगाणी ब्रान्च के मुखी महात्मा सुरेन्द्र शर्मा जी ने प्रवचन करते हुए फरमाया कि जिसकी भक्ति जिसकी पूजा उसका ज्ञान जरूरी है। कहे हरदेव कि पहले ईश्वर की पहचान जरुरी है।तात्पर्य यह कि ईश्वर को साकार रूप मे देखने के लिये एक अलौकिक उस दिव्य दृष्टि की आवश्यकता होती है जो केवल सतगुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है। हम बहुत ही भाग्यशाली हैं कि ईश्वर निराकार और साकार दोनो रूपों मे हमारे अंग संग रहते है।उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ है भगवान को याद करना, अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को करते समय हर पल उनकी उपस्थिति को महसूस करना, और इस प्रकार इसे अपना स्वभाव बनाना। भक्ति अपने स्वार्थ या किसी सांसारिक इच्छा की प्राप्ति के लिए प्रेरित नहीं होनी चाहिए।सुरेन्द्र शर्मा जी ने कहा कि मनुष्य जन्म बहुत ही दुर्लभ है तथा इसका परम उद्देश्य वक्त के सतगुरु से निराकार प्रभु परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करके यशोगान व भक्ति करना और जन्म मरण के बंधनों से छुटकारा पाकर मोक्ष प्राप्त करना है। यदि यह कार्य मनुष्य ने सांसों के रहते नहीं किया तो अंत समय पछताने के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं आएगा तथा यह मनुष्य जन्म व्यर्थ ही चला जाएगा।इस अवसर पर डलहौजी , टप्पर , बनीखेत , बगडार , बाथरी , गोली , देवीदहेरा परिहार के आसपास के संत महात्माओं ने हिस्सा लिया और निरंकार प्रभु का गुणगान किया।