खाद के दाम बढ़ना यानी किसानी को खत्म करना , किसानों पर आर्थिक बोझ से दबा रही केंद्र सरकार :- नरेंद
चंबा 18 दिसंबर मुकेश कुमार (गोल्डी)
देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों को आमदनी डेढ़ गुणा को बढ़ाने का एक जुमला दिया था जिस पर किसानों ने विश्वास करते हुए बीजेपी को सत्ता में लाया था। लेकिन कुर्सी पर बैठते ही अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए । सबसे पहले किसानों को मिलने वाली सब्सिडी का बजट कम कर दिया । उसके बाद किसान विरोधी व कॉरपोरेट समर्थित काले कृषि कानून लाए जिसका किसानों के संगठनों ने जमकर विरोध किया जिसे बाद में वापिस लेना पड़ा । लेकिन किसान पर आर्थिक बोझ डालने का काम फिर से नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। किसानी के लिए उपलब्ध बीज, दवाई, खाद, उपकरण, पहले से ही इतने महंगे हैं की किसान की पहुंच मुश्किल थी इन सभी में पर्याप्त सब्सिडी किसानों को मिलती थी लेकिन उसे भी खत्म कर दिया है। अब केंद्र सरकार ने नए साल में केंद्र को नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों और बागबानों को खत्म करने का फरमान सुनाया है । सरकार ने खाद के दामों में वृद्धि कर दी है जोकि किसानों के लिए बड़ा झटका है। आज किसानी फायदेमंद नहीं है हिमाचल प्रदेश में जहां एक और छोटे तथा सीमांत किसान हैं दूसरी और उनके द्वारा को जाने वाली पैदावार का उचित मूल्य नहीं मिलता है । नकदी फसलों व फलों की पैदावार बढ़ाने में इस्तेमाल की जाने वाली एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) के दाम सरकार ने 62 रुपए प्रति बैग बढ़ा दिए हैं, जिससे हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागबानों को अब सिंगल सुपर फास्फेट खाद की खरीदने के लिए अब अपनी जेब ढीली करनी होगी। जहां पहले यह इस खाद का 50 किलो का बैग 750 रुपए में आता था, वहीं अब इसकी कीमत 812 रुपए प्रति बैग हो गई है। एनपीके 12:32:16 के 1420 रुपए, यूरिया के 266 रुपए 50 पैसे, कैल्शियम नाइट्रेट के 1750 रुपए, एनपीके 15:15:15 के दाम 1350 रुपए, एमओपी के 1700 रुपए दाम तय किए गए हैं। इसका सीधा लाभ निजी विक्रेता और कंपनियों को है । इसमें किसानों की खुली और गैरकानूनी लूट होने वाली है ।
हिमाचल किसान सभा इकाई चंबा इसका पुरजोर विरोध करती है और आने वाले समय में सरकार को किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।