आस्था का प्रतीक है साक्षात कालका मल्लमाता ऐनन माता मंदिर यहां आने सबकी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं
चंबा 2 फरवरी मुकेश कुमार (गोल्डी)
भटियात,डलहौजी एवं पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में माता ऐनन मंदिर को लेकर बहुत ही आस्था एवं मान्यता है। माता ऐनन मंदिर में मां कालका एवं मल्लमाता के रूप में साक्षात मूर्ति के रूप में विराजित है जहां माता के स्वरूप के दर्शन मात्र से ही ज्यादातर मनोकामनाएं सिद्ध हो जाती हैं। यह मंदिर नैनीखड्ड-खैरी मुख्य मार्ग पर स्थित है । एनएच 154 ए पर स्थित गांव नैनीखड्ड से लगभग 10 किलोमीटर एवं खैरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
इस मंदिर की सुंदरता एवं भव्यता अपने आप में ही देखने को मिलती है मंदिर की एक और जहां प्राकृतिक झरना इस मंदिर की शोभा को चार चांद लगता है तो वही दो खड्डों का संगम भी इसकी शोभा को कम नहीं करता। इस मंदिर के सेवादार एवं ऐनन माता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्ति शेर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि माता भवानी श्री ऐनन जी कालका एवं मल्लमाता का इतिहास बड़ा ही दुर्लभ एवं विचित्र है जिसका अंत ही नहीं है
शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्ति शेर सिंह
हमारे पूर्वजों एवं बुजुर्गों के कहे अनुसार जो हम सभी को जानकारियां हैं वही मैं सभी के समक्ष रखूंगा सैंकड़ों सालों हुए जब गुरु गोरखनाथ अपने देवी देवताओं एवं अनुयायियों शिष्यों के साथ यहां आए थे, उन्होंने जहां आज मंदिर स्थापित है वहां खड्ड के किनारे डेरा लगाया की अगले दिन जब गोरखनाथ जी अपने देवी देवताओं एवं अनुयायियों शिष्यों सहित प्रस्थान करने लगे तो मां भवानी जो गोरख मंडली का एक अहम हिस्सा थी उन्होंने इस पावन स्थली को छोड़कर जाने से इन्कार कर दिया दिया और माता इसी स्थान पर रुक गई। बुजुर्गों ने यह भी बताया कि जब सतयुग में यहां के आसपास गांव के ग्वाले अपने पशु मवेशियों को चराने साथ लगते जंगल में जाया करते थे तो उस दौरान मां बच्चों के साथ खेला करती थी। कई बार बच्चों के बीमार होने या चोटग्रस्त हो जाने पर मां अपने स्पर्श मात्र से ही उन्हें ठीक कर दिया करती थी। धीरे-धीरे मां की महिमा बढ़ने लगी और लोगों में मां के प्रति आस्था बढ़ती गई और मनोकामनाओं के सिद्ध होने का सिलसिला भी जारी रहा जैसे-जैसे किसी एक की भी मनोकामना संपूर्ण होती वैसे ही उसके द्वारा मां के मंदिर में चिन्ह के रूप में एक त्रिशूल अर्पित किया जाता था। देखते ही देखते वहां लाखों त्रिशूल एकत्रित हो गए जहां आज मंदिर स्थित है। माता ऐनन जी का मूल स्थान जम्मू कश्मीर राज्य के गांव सुकराला में है माताजी का वास्तविक रूप दुर्गा का ही है यहीं से माता जी आई हैं वहां पर उनकी मूर्ति विशेष अर्थात संगम रूपी इनका एक हिस्सा देवी कालका जी का है तो वहीं दूसरा हिस्सा देवी मल्ल रानी का है। देवी मां मल्ल रानी और कालका जी दोनों सखी सहेलियां के रूप में हैं सुकराला वाली मां चंबा के राजा वर्मन वंश के साथ यहां आई थी तब मां ने तत्कालीन राजा को यह वचन दिया था कि हे राजन आज के बाद मैं तेरी रियासत के हर घर में माता मल्ल के रूप में पूजनीय रहूंगी और तेरी रियासत से अगर कोई कन्या दूसरी रियासत में विहाई जाएगी तो मैं उसके साथ ही रहूंगी और यह बात कहीं तक सत्य है मां माता हमारी चंबा की विवाहिता लड़कियों के साथ उनके घरों में ही विद्यमान है।चंबा और चंबा से बाहर की रियासतों में मल्ल माता पूजनीय एवं श्रेष्ठ है। ऐनन वाली माता मल्ल रानी कालका जी जहां आज भव्य मंदिर स्थापित किया गया है वहां कभी कई अनगिनत त्रिशूलें विराजमान थी। सन 1992- 93 में स्थानीय लोगों ने माता के मंदिर के लिए एक कमेटी का निर्माण किया और माता के भव्य मंदिर के निर्माण का बीड़ा भी उठाया धीरे-धीरे जिन लोगों पर मां का आशीर्वाद रहा उन लोगों ने बढ़-चढ़कर मां के मंदिर निर्माण के लिए आगे आकर यथासंभव मदद की और देखते ही देखते मां का भव्य मंदिर बनकर निर्मित हुआ इस मंदिर की योगदान के लिए स्थानीय भाजपा एवं कांग्रेसी नेताओं कभी योगदान रहा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं पूर्व विधायिका आशा कुमारी
आशा कुमारी जो चंबा के राजवंश परिवार से संबंध रखती हैं मंदिर कमेटी की मुख्य संरक्षिका भी रही उन्होंने मंदिर निर्माण हेतु भरपूर अमूल्य सहयोग दिया। हमारे स्थानीय नेता पूर्व भाजपा विधायक स्वर्गीय गंधर्व सिंह भी मंदिर निर्माण को लेकर कभी पीछे नहीं हटे उन्होंने भी मंदिर निर्माण के लिए यथासंभव मदद की। शेर सिंह ने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि जो मूर्ति स्थापित है वह साक्षात माता कालका एवं मल्लमाता का एक ही स्वरुप है जिसे माता के बीज मंत्र के शब्द ऐनन से इस मंदिर का नामकरण हुआ है। आज ऐनन माता मंदिर की महिमा क्षेत्र के हर घर में होती है हर साल माता के मंदिर में नवरात्रों के दौरान भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसका बीड़ा ऐनन माता मंदिर कमेटी द्वारा उठाया जाता आ रहा है इसके अलावा सेवा निवृत सैनिकों द्वारा भी मंदिर को भरपूर सहयोग दिया जाता आ रहा है और मंदिर के छोटे-बड़े कार्य के लिए सभी क्षेत्रवासी आगे आकर यथासंभव मदद करते हैं
उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि मां ऐनन माता कालका मल्लमाता सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं जो भी माता के दरबार में आकर अपने सच्चे मन से शीश नवाकर अपनी मनोकामना माता के समक्ष रखता है मां उसे अवश्य पूरी करतीं हैं इसे मैं अपने शब्दों में बयान नहीं कर सकता। इस मंदिर को लेकर जब चंबा राजवंश की बहू पूर्व शिक्षा मंत्री एवं पूर्व विधायिका आशा कुमारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐनन माता मंदिर क्षेत्र के सभी लोगों की आस्था का प्रतीक है मैं साक्षात कालका मल्लमाता को कोटि कोटि नमन करती हूं उन्होंने मुझे इस काबिल समझा कि मैं उनकी कुछ सेवा कर सकूं और मुझे जब भी साक्षात माता का आदेश हुआ है मैं सेवा के लिए पीछे नहीं रही हूं और ना कभी पीछे रहूंगी।