चंबा 22 अगस्त मुकेश कुमार (गोल्डी)
पूरे भारतवर्ष में स्वतंत्रता दिवस को लेकर घूम रही, लोग आज भी जश्न में डूबे हुए हैं। देश के कई स्थानों पर स्वतंत्रता दिवस को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जो अभी तक जारी है। आजादी के इस पावन अवसर पर हर भारतवासी उन शहीदों को याद करता है और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है जिन शहीदों ने हंसते-हंसते इस देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। शहीद ए आजम भगत सिंह के चाचा देशभक्त अजीत सिंह का डलहौजी से एक अटूट नाता है। जब देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजाद हुआ था। एक और जहां पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ था तू वही सरदार अजीत सिंह को देश को दो टुकड़ों में बटा देख अंदर ही अंदर गम खाए जा रहा था की एक और जहां हिंदू मुसलमानों ने एकजुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी लेकिन अंग्रेजों की कूट राजनीति को ना समझते हुए हिंदू और मुसलमान अलग-अलग दो देशों में बंट गए। इसी के चलते सरदार अजीत सिंह 15 अगस्त की सुबह जब डलहौजी के उनके आवास वसंत कोठी की सुबह जब वह बाहर नहीं आए तो लोग इकट्ठा हुए और देखा कि सरदार र अजीत सिंह मृत अवस्था में पड़े हुए हैं। जहां एक और पूरा देश आजादी के जश्न को मना रहा था तो वही एक तरफ डलहौजी में शहीद-ए-आजम सरदार अजीत सिंह को पंचपुला नामक स्थान पर नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दे रहा था। उसे समय डलहौजी पंजाब राज्य में हुआ करता था और शहीद सरदार अजीत सिंह को श्रद्धांजलि देने पूरा पंजाब उमड़ पड़ा था। सरदार शहीद अजीत सिंह आज भी हर डलहौजी वासी के दिल में अपनी जगह बनाए हुए हैं और वह अमर है इसीलिए डलहौजी के पंचपुला में सरकार द्वारा जहां उनका पंचतंत्र में विलीन किया गया था वही उनकी याद में एक भव्य स्मारक बनाया गया है जो हर आने जाने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है और हर आने जाने वाला पर्यटक शहीद अजीत सिंह को नम आंखों से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करके जरूर जाता है। लेकिन मौजूदा समय में इस शहीद सरदार अजीत सिंह का स्मारक अपने बदहाली के आंसू रो रहा है। बेशक कुछ निजी संस्थाएं इस आजादी के मतवाले को लेकर अगस्त महीने जरूर सक्रिय हो जाती हैं किंतु उसके बाद कोई शहीदी की स्मारक की सुध तक नहीं लेता हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 अगस्त को मेले का आयोजन हुआ जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों सहित की समाजसेवी संस्थाओं के लोगों ने शिरकत की किंतु शहीद स्मारक की दुर्दशा किसी को नजर नहीं आई।
जगह-जगह से उखड़ा टूटा स्मारक खुद रो रो के बयान कर रहा था किंतु हर कोई उसे अपनी नजर चुराता नजर आया। और आज स्थानीय प्रशासन, हिमाचल पर्यटन एवं डलहौजी की वे समाजसेवी संस्थाएं जो शहीद सरदार अजीत सिंह को लेकर अपनी राजनीति रोटियां सेंक रहीं हैं। उनकी भी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व प्रदेश उपाध्यक्ष – पर्यटन प्रकोष्ठ मनीष सरीन जो की डलहौज़ी से सम्बन्ध रखते हैं ने शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह के स्मारक को लेकर कहा की समाजसेवी संस्थाओं, स्थानीय प्रशासन,जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग जिला चंबा को शर्म आनी चाहिए की ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों को सहजता से संभाले कर रखने की जरूरत है लेकिन डलहौजी में ठीक इसके विपरीत देखने को मिल रहा है जो अपने क्षेत्र के लिए बड़े ही शर्म की बात है। मनीष सरीन ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन पर्यटन विभाग ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों की सुध ले वरना आम आदमी पार्टी जिला चंबा की सड़कों पर उतरेगी और धरना प्रदर्शन करेगी शहीदों की अनदेखी किसी भी सूरत में आम आदमी पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी।