मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू ब्लॉक कलहेल की बैठक आज नकरोड़ में हुई संपन्न
तीसा/ चुराह 25 दिसंबर दिलीप सिंह ठाकुर
मिड डे मील वर्कर यूनियन संबंधित सीटू ब्लॉक तीसा कलहेल कलहेल की बैठक आज नकरोड़ में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता ब्लॉक अध्यक्ष होशियारा राम ने की । बैठक में सीटू जिला अध्यक्ष नरेंद्र शामिलि रहे । बैठक के संबोधन सीटू जिला अध्यक्ष नरेंद्र ने कहा कि मिड डे मील वर्करों को पिछले कई महीने के वेतन का भुगतान सही तरीके से नहीं हो रहा है। वर्कर को सरकार द्वारा घोषित 4500 रुपये वेतन भी नहीं मिल रहा है। केन्द्र सरकार से मिलने वाला 1000 रुपए समय पर नहीं मिल रहा है । नवंबर माह के मानदेय में कलहेल ब्लॉक में त्रुटियां है कई वर्कर को कम मानदेय मिला है । ब्लॉक में मानदेय समय पर नहीं मिलता है। राज्य सरकार का हिस्सा 3500 रुपए भी समय पर नहीं मिल रहा है । माननीय उच्च न्यायालय ने 12 माह का मानदेय देने के फैसले के खिलाफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है इसे से पहले प्रदेश की बीजेपी सरकार का भी वर्कर के प्रति यही रवैया था । नीति लाने की जगह मिड डे मील वर्कर को खत्म किया जा रहा है। इसी के खिलाफ आने वाले मार्च विधानसभा सत्र का भी बड़ी संख्या में घेराव किया जाएगा । मिड डे मील वर्कर श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ भी देशव्यापी हड़ताल में जाने वाले हैं। पंजाब सरकार के मिड डे मील कर्मियों के लिए दी गयी सुविधा व हिमाचल प्रदेश में आंगनबाड़ी को दी गयी सुविधा की तर्ज़ पर मिड डे मील कर्मियों को 12 से 20 छुट्टियों की सुविधा दी जाए।
उन्हें साल में दो वर्दी दी जाए। मल्टी टास्क भर्ती में मिड डे मील कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। बन्द किए गए स्कूलों में अन्य स्टाफ की तरह मिड डे मील कर्मियों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। उनके लिए नौकरी से सम्बंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से दो मिड डे मील वर्करज़ की नियुक्ति की जाए। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को मजदूर का का दर्जा दिया जाए व उन्हें नियमित किया जाए। देश की मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर तीखे हमले जारी रखे हुए है। केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की शर्त के अनुसार योजना मजदूरों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र में रही सरकारों ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं की है। मोदी सरकार इस योजना को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इस योजना के बजट में लगातार कटौती की जा रही है।
मोदी सरकार ने मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना करके इसे खत्म करके सुनियोजित साज़िश रची है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है जिस से मिड डे मील कर्मियों की छंटनी तय है। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर निजीकरण होगा। यह सब करके भाजपा सरकार मिड डे मील कर्मियों के रोजगार को खत्म करना चाहती है। प्रदेश में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं व कई मिड डे मील कर्मियों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है। बैठक में ब्लॉक सचिव चंद्रमणि, युपावती, नारो, गीता, देवी सिंह, बादली, नैना, संतोष, करतार, लीला, रुखी, बॉबी, भेखी, ममता, सतीश, कुंता, प्रेमी, प्रकाशि देवी, केहर सिंह, तुलसी, जस्सा राम, पानो, पुष्पा, सावित्री आदि शामिल रहे।