निरंकार प्रभु का एहसास हर पल में बना रहना चाहिए:-महात्मा रविंद्र कुमार

डलहौजी /चम्बा 27 अप्रैल मुकेश कुमार (गोल्डी)
स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन में आज साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महात्मा रविंद्र कुमार जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अध्यात्मिक विचार साझा किए।अपने प्रवचन में महात्मा जी ने कहा कि निरंकार प्रभु का एहसास हर पल में बना रहना चाहिए, न कि केवल कुछ क्षणों तक सीमित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हर सांस में प्रभु का प्रेम समा जाता है, तो जीवन में मिठास और आनंद स्वतः भर जाते हैं।

उन्होंने सत्संगियों को पल-पल के महत्व को समझने और हर सांस को प्रभु के एहसास में लगाने की प्रेरणा दी।महात्मा रविंद्र कुमार जी ने भक्ति मार्ग को अत्यंत सूक्ष्म और बारीक बताया। उन्होंने कबीर जी के दोहे “प्रेम गली अति सांकरी, तामे दो न समाए” का उल्लेख करते हुए कहा कि सांस-सांस में प्रभु का एहसास बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि अज्ञानता का अंधकार पलभर में जीवन को घेर सकता है।

प्रेम और सेवा की भावना पर बल देते हुए महात्मा जी ने कहा कि प्रभु के प्रेम का सबसे बड़ा प्रमाण उसकी रचना और बंदों से प्रेम करना है। उन्होंने समझाया कि जब सतगुरु की कृपा से ज्ञान की आंख खुलती है, तो जात-पात, भाषा या नस्ल का भेद समाप्त हो जाता है और हर प्राणी में एक ही नूर नजर आता है।कार्यक्रम में क्षेत्र के अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भक्ति भाव से सत्संग का आनंद उठाया।