चंबा 13 सितंबर मुकेश कुमार (गोल्डी)
हिमाचल प्रदेश होमगार्ड के जवान पिछले छः दशकों से अपने लिए स्थाई पॉलिसी बनने का सपना देखते आ रहे हैं लेकिन इनकी बदकिस्मती है कि देश की आजादी से पूर्व अस्तित्व में आए अर्धसैनिक संगठन होमगार्ड स्वयं सेवकों को आज भी अपने हक के लिए सरकार से आस लगाना पड़ रहा है। इन छः दशकों में देश के प्रसिद्ध दो राजनीतिक दलों ने प्रदेश में बारी बारी से सत्ता संभाला लेकिन होमगार्ड स्वयं सेवकों को न्याय नहीं दे सके,यह जानकारी हिमाचल प्रदेश होमगार्ड वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष श्री जोगिंद्र सिंह चौहडिया ने दी। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश का होमगार्ड जवान अपातकाल के साथ साथ शांति काल में भी पुलिस, जेल, दमकल व अन्य विभागों के कर्मचारियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। यहां तक कि पूरे वित्त वर्ष में होमगार्ड स्वयं सेवक अन्य सरकारी कर्मचारियों से लगभग डेढ़ महीने से अधिक सेवा प्रदान करते हैं इसके बावजूद भी होमगार्ड जवानों को नियमित करने की बात तो दूर अवकाश, भविष्य निधि, चिकित्सा प्रतिपूर्ति,करुणामूलक आधार पर परिवार के सदस्य को नौकरी, महिला होमगार्ड जवानों को मातृत्व अवकाश व सबसे अहम पैंशन सुविधा से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस देश में विदेश से आए नेपाली व रोहिंग्या भी नियमित सरकारी कर्मचारी बन कर पैंशन सुविधा व अन्य सुविधाएं भोग रहे हैं लेकिन हम इसी देश के नागरिक होते हुए भी सभी प्रकार के सुविधा से वंचित होकर गुलामों की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण में होमगार्ड जवानों को अपने गृह जिले से बाहर तैनाती पर साठ रुपए अतिरिक्त दैनिक भत्ता देने की घोषणा की थी, इसके बावजूद भी यह घोषणा सिरे नहीं चढ़ पाया है। प्रदेशाध्यक्ष ने प्रदेश के सभी मंत्रियों, सांसदों व विधायकों चाहे वे सत्ता पक्ष में हो अथवा विपक्ष में,से आग्रह किया है कि आने वाले संसद व विधानसभा सत्र के दौरान होमगार्ड जवानों के हित को प्रमुखता से उठाया जाए ताकि होमगार्ड जवानों में जो हीन-भावना उत्पन्न हुई है उसे राहत प्रदान की जा सके।