निरंकार-प्रभु जो सृष्टि के कण-कण में विराजमान है इसी एहसास में सहज जीवन जीना संभव है -: बहन अर्पिता

निरंकार-प्रभु जो सृष्टि के कण-कण में विराजमान है इसी एहसास में सहज जीवन जीना संभव है -: बहन अर्पिता

डलहौजी / चंबा 9 फरवरी मुकेश कुमार (गोल्डी)

बीते कल रविवार को स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें प्रवचन करते हुए बहन अर्पिता ने फरमाया कहा कि निरंकार-प्रभु जो कण-कण में बसा है, बेरंगा है, इसको जानकर, इसके एहसास में हर पल रहते हुए सहज जीवन जीना सम्भव है। निरंकार को मन की गहराइयों में बसाने से वैर, ईर्ष्या, नफरत और अहंकार जैसे अन्य दुर्गुण भी समाप्त होते जायेंगे। फिर मन में प्रेम, सुकून, समदृष्टि व अपनत्व जैसे मानवीय गुणों का समावेश होता जायेगा, जिससे हमाराजीवन एक मुकम्मल जीवन बन सकता है।

अर्पिता ने कहा कि एकत्व में सुकून है। यह एकत्व, यह रिश्ता परमात्मा और आत्मा का । जब आत्मा को पता चल जाता है कि असली रूप क्या है? शरीर में आत्मा है, परन्तु शरीर इसकी असली पहचान नहीं है, यह परमात्मा का ही रूप है, यही असल पहचान है ।परमात्मा प्रेम का रूप है। जब इस परमात्मा से मेल हुआ तो ये जीते जी भी जीवन प्रेम ही बन गया, हम स्वयं ही प्रेम बन गए और फिर जब प्रेम बन ही गए तो फिर ये प्रेम ही बांटेंगे। मन में हमेशा करुणा, दया, विनम्रता रहेगी और पूरे संसार के लिए सेवाभाव होगा। आगे फरमाया कि हमें निरंकार के साथ अपनी लिव जोड़कर रखनी है ताकि मन में भक्ति व सुकून का भाव बना रहे और यह तभी संभव है जब निरंकार का अहसास करते हुए इससे प्यार किया जाए। सुकून पल दो पल का नहीं बल्कि हर परिस्थिति में रहने वाला होता है । सुकून हमारे सकारात्मक व नकारात्मक भाव से जुड़ा नहीं है। यह हमारे जीवन में तब प्रवेश करेगा जब हम प्रभु को अपने हृदय में स्थान देंगे।

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