एपीएमसी ने जड़ी बूटी तस्करों पर कसा शिकंजा, तुन्नूहट्टी में अवैध रूप से जड़ी बूटी से भरा ट्रक काबू
डलहौजी/चंबा 11 नवंबर मुकेश कुमार (गोल्डी )
चेक पोस्ट तुन्नूहट्टी में एपीएमसी द्वारा अवैध रूप से जड़ी-बूटी ले जा रहे एक जड़ी बटी सौदागर पर कार्यवाही करते हुए भारी जुर्माना लगाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एपीएमसी दल द्वारा चंबा से कसमल से भरा ट्रक जो चंबा से आ रहा था उसे निरीक्षण हेतु रोका गया तो ट्रक को चला रहा चालक बुरी तरह से घबरा गया जब एपीएमसी दल द्वारा ट्रक का निरीक्षण किया गया तथा जड़ी बूटी से संबंधित कागजात पेश करने को कहा तो चालक किसी भी प्रकार का कोई लाइसेंस या संबंधित कागजात दिखने में असमर्थ दिखा जिस पर एपीएमसी ने लगभग तेईस हजार रुपए का जुर्माना लगाया तथा चालक को भविष्य में दोबारा बिना लाइसेंस के जड़ी बूटी की खरीदारी की तो भविष्य में और ज्यादा कड़ी कार्यवाही की अमल में लाए जाने की चेतावनी भी दी। बता दें कि जिला चंबा में ऐसी कई वेशकीमती जड़ी बूटियां है जिनकी बाहरी क्षेत्रों में भारी मांग है। लेकिन इन जड़ी बूटियां को जंगलों से निकलना तथा इकट्ठी करने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य रहता है तथा अब कृषि उपज मंडी का भी लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए कृषि उपज मंडी ने वन विभाग के सभी भूमंडल के सभी अधिकारियों को आदेश भी जारी कर दिए हैं इस पूर्व चंबा में ऐसी व्यवस्था नहीं थी एपीएमसी द्वारा बिना लाइसेंस का यह अपने आप में पहला चालान है ।वन विभाग द्वारा जड़ी बूटियां को निकालने के लिए जिन लोगों को लाइसेंस दिए गए हैं उन्हें कृषि योग्य मंडी के लाइसेंस भी जांच करने को कहा गया है ताकि कृषि उपज मंडी निर्धारित एक प्रतिशत फीस लागू कर सके। इस सारे मामले पर सचिव कृषि उपज मंडी चंबा भानु प्रताप ने जानकारी देते हुए बताया कि बिना लाइसेंस के कसमल ले जा रहे व्यापारी के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई गई है। वह उचित है मंडी की तरफ से मार्केट फीस ली जाती है इस बारे में वन विभाग को उचित नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं कि वे एपीएमसी के लाइसेंस की जांच करें इसके बाद ही जड़ी बूटी के दोहन की अनुमति प्रदान करें। बता दे जिला चंबा के दुर्गम क्षेत्र पांगी तीसा तथा भरमौर में वेशकीमती जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। जीने दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है कुछ समय पूर्व केंद्र और प्रदेश सरकार ने वन विभाग में वन समृद्धि जन समृद्धि योजना भी शुरू की थी इस योजना के तहत लोग अपनी नजदीकी जंगल में तैयार होने वाली कीमती जड़ी बूटी की जानकारी वन विभाग के साथ सांझा कर उसका दोहन कर पाएंगे।