जिला चंबा के विभिन्न स्थानों पर बड़े ही हर्षोल्लाहास से मनाया गया विजयदशमी का पावन त्यौहार

जिला चंबा के विभिन्न स्थानों पर बड़े ही हर्षोल्लाहास से मनाया गया विजयदशमी का पावन त्यौहार

चंबा 12 अक्टूबर मुकेश कुमार (गोल्डी)

दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन ही श्री राम भगवान ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को लंका से मुक्त कराया था. दशहरे पर हर साल रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. दशहरे का उत्सव केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाज में नैतिकता और सत्य की विजय को भी दर्शाता है। इसी को लेकर जिला चंबा में विभिन्न स्थानों पर इस त्यौहार को लेकर खूब चहल पहल एवं रौनक देखने को मिली।

बात अगर जिला मुख्यालय की करें तो जिला मुख्यालय के चंबा चौगान में रावण मेघनाथ एवं कुंभकरण के पुतलों को जलाया गया इस आयोजन को लेकर पहले नवरात्रे से ही रामलीला का आयोजन होता आ रहा है तो वही आज रावण मेघनाथ एवं कुंभकरण के दहन के साथ ही विभीषण के राज्याभिषेक होते ही रामलीला का भी समापन हो जाता है इस आयोजन में आज सुबह से ही चंबा चौगान में चहल-पहल देखने को मिली जहां दशहरा दंगल का भी आयोजन किया गया जिसमें दूर-दूर से आए पहलवानों ने अपना दमखम दिखाया।

क्षेत्र के डलहौजी सदर बाजार में भी रामलीला का भव्य आयोजन किया गया साथी आज रावण दहन के साथ रामलीला का समापन हुआ। बनीखेत में जहां दशहरा को लेकर आज सुबह से विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं करवाई गई जिसमें छोटे बड़े बच्चों ने भाग लिया। तो वही दशहरे को लेकर भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया जिसमें राम सीता लक्ष्मण के इलावा राम रावण मेघनाथ जैसे किरदारों की झांकियां निकाली गई।

तो वहीं भाटियात के सिहुंता समोट एवं चुवाड़ी में भी विजयदशमी के पावन अवसर को लेकर धूम रही। बता दें तीसा में भी विजयदशमी के त्यौहार को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला।

तो वहीं

जनजातीय क्षेत्र भरमौर में दशहरा एवं रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है इसमें की ऐसी पुरानी कथाएं हैं जिनका अलग-अलग वर्णन किया गया है किंतु स्थानीय लोगों की मानें तो भरमौर शिव भूमि है और रावण शिव जी का परम प्रिय भक्त था और शिव के प्रति रावण की भक्ति एवं समर्पण को देखते हुए भरमौर में ना तो रामलीला का ही आयोजन होता है और ना ही रावण दहन ही किया जाता है।

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