कोई कितना भी विद्वान क्यों न हो, वह सत्गुरु के बिना भवसागर पार नहीं कर सकता -: महात्मा दीप जसवाल

कोई कितना भी विद्वान क्यों न हो, वह सत्गुरु के बिना भवसागर पार नहीं कर सकता -: महात्मा दीप जसवाल

डलहौजी/चंबा 23 फरवरी मुकेश कुमार (गोल्डी)

बीते कल रविवार स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें प्रवचन करते हुए  महात्मा दीप जसवाल ने फरमाया  किइतिहास साक्षी है कि कोई कितना भी विद्वान क्यों न हो, वह सत्गुरु के बिना भवसागर पार नहीं कर सकता। जब से सृष्टि की रचना हुई है, तभी से इस धरती पर सतगुरु का विशेष महत्व रहा है। वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, गीता में सत्गुरु की महिमा का गुणगान किया गया है।सन्त कबीर जी को गुरु रामानंद जी की कृपा से ब्रह्मज्ञान की रोशनी प्राप्त हुई । बुल्ले शाह जी ने शाह इनायत जी की कृपा से रब्बी दात को पाया।

मीराबाई जी ने  श्री गुरु रविदास जी की कृपा से इस सत्य परमात्मा को प्राप्त किया । सतगुर के बिना सत्य की प्राप्ति नहीं होती । गुरु के बिना मोक्ष भी संभव नहीं है। गुरु के बिना सत्य-असत्य को भी नहीं जाना जा सकता। गुरु के बिना दोषपूर्ण जीवन का उद्धार नहीं होता । महात्मा दीप जसवाल ने फरमाया कि ब्रह्मज्ञान पाने के लिए किसी प्रकार के जप-तप, सिद्धि – साधना अथवा अन्य किसी प्रकार के कर्म करने की आवश्यकता नहीं है । ब्रह्मज्ञान के लिए तो सिर्फ और सिर्फ श्रद्धा व निश्छल भाव से सत्गुरु के चरणों में जाकर, प्रेम पूर्वक विनती करनी होती है कि “हे कृपा निधान! कृपा करके मुझे इस सर्वाधार परम तत्व परमात्मा के दर्शन करवा दीजिए ।” इस प्रकार विनती करने मात्र से भक्त को तत्क्षण ही सत्गुरु परमात्मा से मिला देते हैं।

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