पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के लिए चंबा में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के लिए चंबा में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

चंबा, 6 मार्च मुकेश कुमार (गोल्डी)

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चंबा की ओर से पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सभागार में पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम को लेकर एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पुलिस कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को समझाना और उनके समाधान के प्रति जागरूक करना था।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विपन ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कर्मियों को अत्यधिक तनाव और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार अवसाद और अन्य मानसिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यह कार्यशाला आयोजित की, जिसमें डॉ. करण हितेषी और डॉ. वैभवी गुरुंग ने विशेषज्ञों के रूप में भाग लिया।

मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम पर महत्वपूर्ण जानकारी

कार्यशाला में डॉ. करण हितेषी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समय रहते पहचानना और सही उपचार प्राप्त करना बेहद जरूरी है। उन्होंने डिप्रेशन, मैनिया, सिज़ोफ्रेनिया, ओसीडी, एंग्जायटी, फोबिया, और न्यूरोकोग्निटिव डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के लक्षणों और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मानसिक अस्वस्थता के कारण व्यक्ति बेरोजगारी, पारिवारिक समस्याओं, नशे की लत और अपराधों की ओर अग्रसर हो सकता है।उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने के विभिन्न कारणों का उल्लेख किया, जिनमें पारिवारिक इतिहास, बचपन के आघात, प्रियजनों की हानि, नकारात्मक सोच, तनावपूर्ण घटनाएं, खराब नींद, असंतुलित खान-पान, नशे का सेवन और लंबी बीमारियों का उपचार शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति में अत्यधिक चिंता, उदासीनता, मूड स्विंग, नींद में गड़बड़ी, हिंसक प्रवृत्ति, आत्महत्या के विचार या नशे की लत जैसी समस्याएं देखने को मिलें तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए सुझाव

इस अवसर पर डॉ. वैभवी गुरुंग ने पुलिस कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी सुझाव दिए :-

सकारात्मक सोच अपनाएं,सामाजिक रूप से सक्रिय रहें और खुद को अलग-थलग न करें, नियमित व्यायाम और योग करें,पर्याप्त नींद (6-8 घंटे) लें, स्वस्थ और पोषणयुक्त आहार लें,धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों से दूरी बनाएं, समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें

मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम और सहायता केंद्र की जानकारी

डॉ. वैभवी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक विशेष कानून भी लागू है, जिसके तहत मरीज इलाज के दौरान अपने किसी करीबी को नामित कर सकता है ताकि उसे सही और निरंतर चिकित्सा मिल सके। इसके अलावा, अस्पतालों में मानसिक रोगियों को भी अन्य रोगियों की तरह समान इलाज और मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है।उन्होंने पुलिस कर्मियों को यह भी जानकारी दी कि यदि कोई मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति बिना सहायता के मिले, तो उसे क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट की मदद से इलाज और रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। साथ ही, यदि किसी को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी महसूस हो तो चंबा मेडिकल कॉलेज के कमरा नंबर 422 में विशेषज्ञों से परामर्श लिया जा सकता है।

सकारात्मक पहल की सराहना

पुलिस कर्मियों ने इस कार्यशाला को अत्यंत लाभकारी बताया और कहा कि इस तरह के प्रयास न केवल उनकी मानसिक सेहत में सुधार लाएंगे, बल्कि समाज में भी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाएंगे।यह कार्यशाला पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल साबित हुई है। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे ताकि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाई जा सके।

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