चम्बा 28 अगस्त मुकेश कुमार ( गोल्डी)
हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सीएचसी डलहौजी को 7 विशेषज्ञ डॉक्टर से नवाजा है जो पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि एवं खुशी की बात है। साथ ही डलहौजी में बाहरी लोगों का इलाज हेतु आवागमन भी बढ़ गया। परंतु आए हुए बाहरी लोगों के लिए डलहौजी बस अड्डा से सिविल अस्पताल तक का 3 किलोमीटर का सफर अत्याधिक कठिन हो जाता है जब उन्हें पता चलता है कि 3 किलोमीटर का सफर पैदल ही जाना है अगर वह स्पेशल टैक्सी करते हैं तो बता दे कि हर आम और खास आदमी का तक बजट हिल जाता है। इसी के मध्य नजर आम आदमी पार्टी के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सोनू ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि जिस हिसाब से नागरिक अस्पताल में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देखने को मिल रही हैं ये प्रदेश सरकार का क्षेत्रवासियों के लिए बड़ा तोहफा है। किंतु इसके विपरीत भारी क्षेत्र से आने वाले लोगों के लिए डलहौजी बस अड्डा से लेकर हस्पताल तक का 3 किलोमीटर का सफर मरीज अथवा उसके साथ आए लोगों के अच्छी खासी पसीने छुडा देता है। इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह बस अड्डा डलहौजी से अस्पताल तक एक विशेष वाहन चलाया जाए जो हर किसी के बजट में हो जिसका किराया मुनासिब हो। और यह एक बहुत अच्छा विकल्प है क्योंकि स्थानीय जो टैक्सी वाले हैं वह अस्पताल या एसडीएम कोर्ट तक का किराया लगभग 3सौ से 4सौ रूपए ले लेते हैं जिसका भुगतान करना गरीब परिवार के लिए मुश्किल हो जाता है। सर सोनू ठाकुर ने सरकार एवं प्रशासन से गुहार लगाई है कि गरीबों के समक्ष आ रही इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए ताकि जो लोग आज इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं वह औरों को भी डलहौजी आने के लिए प्रेरित करें ।ऐसा ना हो अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जेब हल्की हो जाए और वापस घर पहुंचने के लिए उसके पास पैसे भी ना बचे। काबिले गौर है कि डलहौजी के इलावा भटियात, सलूणी, तीसा, खैरी, तथा जम्मू कश्मीर की सीमावर्ती गांव के लोग भी इलाज के लिए डलहौजी का ही रुख करते हैं। बस स्टैंड से सिविल हॉस्पिटल तक कोई वाहन सुविधा ना होने के कारण लोगों को पैदल या फिर स्पेशल टैक्सी करवा कर ही पहुंचना पड़ता है।सोनू ठाकुर ने इस संदर्भ में स्थानीय प्रशासन जिला प्रशासन एवं प्रदेश सरकार से पुरजोर मांग की है कि इस समस्या को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकी लोगों के समक्ष आ रही इस समस्या का निपटान हो सके। बताते चलें कि आज की इस महंगाई के दौर में गरीब आदमी का प्राइवेट हॉस्पिटलों में इलाज करवाना अत्यधिक मुश्किल हो गया है इसी वजह से उसकी इलाज के लिए उम्मीद भरी आंखें सरकारी अस्पतालों पर ही टिकी रहती हैं।