परमात्मा को जीवन में शामिल करने से होता है मानवीय गुणों का विस्तार :-महात्मा अनिल गुप्ता

परमात्मा को जीवन में शामिल करने से होता है मानवीय गुणों का विस्तार :-महात्मा अनिल गुप्ता

डलहौजी/चंबा 24 नवंबर मुकेश कुमार( गोल्डी)

आज रविवार को स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें प्रवचन करते हुए महात्मा  अनिल गुप्ता   ने सत्संग में प्रवचन करते हुए फरमाया कि ‘‘परमात्मा जानने योग्य है, इसे जानकर जब हम इसे अपने जीवन का आधार में बना लेते हैं तब सहज रूप में हमारे जीवन मेंमानवीय गुणों का विस्तार होता चला जाता हैमहात्मा ने फरमाया कि 77 वे वार्षिक सन्त समागम में वास्तविक रूप में ‘असीम की ओर-विस्तार‘, यह एक अंदर से बाहर की दिव्य यात्रा है। अक्सर मनों में तनाव तथा दिल और दिमाग के तालमेल की बात आती है। वास्तव में मन और मस्तिष्क दोनों ही साथ है परन्तु कभी मन कुछ ओर चाहता है और मस्तिष्क कुछ और सोचता है।

लेकिन जब हम इस परमात्मा संग जुड़ जाते हैं तब मन में स्थिरता आ जाती है और अपनत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है फिर मन विशाल बन जाता है।महात्मा अनिल गुप्ता ने अपने प्रवचनों में कहा कि युगों-युगों से संतों, पीरों ने यही सन्देश दिया कि हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा करते हुए मानवता के काम ही आना है। परमात्मा द्वारा प्रदान की हुई चीजें एवं इन्सानों ने भी जो आविष्कार किए हैं, उनका सदुपयोग करते हुए इस धरा को ओर अधिक सुंदर बनाना है।इस अवसर पर  मिशन के अन्य अनुयाइयों में महात्मा संजीव जी, प्रीतम जी, राज जी, जय जी , तनवी जी ,   प्रतिमा जी आदि ने भजन, प्रवचन और कविता के माध्यम से कण-कण में व्याप्त निराकार सत्ता का गुणगान किया

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